जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी इतिहास-अरूणेश बाजपेयी
हरदोई , यू पी हरदोई से अखिलेश सिंह सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग तथा जिला पत्रकार स्थायी समिति के तत्वावधान में पत्रकारिता का रचनात्मक स्वरूप बिषय पर आज विकास भवन के सभागार में एक कार्यशाला का आयोजन जिलाधिकारी पुलकित खरे की अध्यक्षता में किया गया।
इस अवसर पर पत्रकारो को सम्बोधित करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि इस तरह के आयोजन का उद्देश्य है कि हमारे नवोदित पत्रकार वरिष्ठ और अनुभवी पत्रकारो से कुछ सीख सके और उनके अनुभवो का लाभ उठा सके। क्योकि अनुभव का कोई तोड़ नही होता है। उन्होने कहा कि आज के इस तेजी से बदलते वक्त में ठहर कर बारीकियो को समझने की जरूरत है क्योकि मंथन से ही संतुलन का रास्ता निकलता है। उन्होने कहा कि इस तरह की कार्यशाला हर तीसरे महीने में की जाये तथा उसमें किसी नये उत्साही उभरते हुए पत्रकार को सम्मानित भी किया जाये।
पत्रकारों से बिषय पर चर्चा करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि बनने वाली हर खबर का उद्देश्य सकारात्मक होना चाहिए। उन्होने गाॅधी जी के मंत्र का जिक्र करते हुए कहा कि कोई भी कार्य करते समय यह विचार अवश्य करना चाहिए कि वह लोकहित में है या नही। उन्होने सूचना विभाग को एक सफल कार्यशाला के आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि आज पत्रकार बन्धुओ को सुनकर लगातार सुनने का मन कर रहा हैं। उन्होने इलेक्ट्रानिक मीडिया को खबर की पुष्टि करने के बाद ही खबर चलाने तथा सप्लीमेंट्री खबर चलाने का सुझाव भी दिया। उन्होने पत्रकारो को अपनी कार्य शैली में सार्थक बदलाव लाने का सुझाव देते हुए ठहराव, संयम और उत्तरदायित्व के साथ काम करने की सलाह दी।
कार्यशाला में आमंत्रित मुख्य वक्ता अरूणेश बाजपेयी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि पत्रकारिता लोकतं़त्र का चैथा स्तम्भ है। विधायिका, कार्य पालिका, न्यायपालिका सभी स्तम्भो की कार्य प्रणाली में आज स्वरूप देखने को मिल रहा है तो पत्रकारिता में क्षरण हुआ है। उन्होने नये पत्रकारो को सुझाव देते हुए कहा कि पत्रकारिता एक दुरूह कार्य है, स्वयं के आचरण पर नियंत्रण रखते हुए समाज में सार्थक बदलाव के लिए कार्य करे। इस मौके पर उन्होने ग्रामीण पत्रकारो की समस्याओ पर भी ध्यान आर्कषित कराया तथा कहा कि अखबार विज्ञापनो को हासिल करने के लिए अपने माप दण्डों से समझौता न करे क्योकि यह समझौते ही राष्ट्रीय दायित्वो के निर्वाह में बाधक है।
कवि रामधारी सिंह ’दिनकर’ की पक्ति जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी इतिहास का भी उल्लेख करते हुए किसी व्यक्ति विशेष की छवि को निखारने का काम न करके जनता के प्रति अपने दायित्वो का निर्वाहन करने का सुझाव दिया। देवी प्रसाद गुप्त ने रचनात्मकता शब्द को प्रमाणिकता के साथ जोड़ते हुए अपनी बात रखी। श्री गुप्त ने पत्रकारो को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज संवेदनाएं मुर्छा में है आपकी कलम से ऐसी धारा निकलनी चाहिए कि संवेदनाओ के वृक्ष सूखने न पाएं। अपनी बात को मजबूती से रखते हुए उन्होने कहा कि आज समाज में पूॅजी के पहाड़ इकट्ठे करने की प्रतिस्पर्धा चल रही है तभी समाज में गड्ढे भी अधिक हो रहे है उन्होने पत्रकारो को लोकहित में समर्पण के साथ काम करने की सलाह देते हुए कहा कि हमारा काम करना तभी सार्थक होगा कि जब हम भूखे को रोटी और अंधे को रोशनी दे सके, किसी की पीड़ा में भागीदार बन सके। अन्त में उन्होने वसीम बरेलवी के ये शेर पढ़ा-
’’ये जहाॅ भी रहेगा रोशनी लुटायेगा।
किसी चराग का अपना मकां नही होता।।’’
हमीरपुर से आये वरिष्ठ पत्रकार श्री गणेश सिंह विद्यार्थी ने आज के युग को संक्रमण काल कहते हुए कहा कि पत्रकारों का ध्येय लोकहित होना चाहिए।
वरिष्ठ पत्रकार अभय शंकर गौड़ ने सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संन्तु निरामयाः से अपनी बात प्रारम्भ करते हुए कहा कि पत्रकारिता का मतलब है कि आम आदमी की आवाज और आम आदमी की आवाज को स्वर देना बहुत ही कठिन कार्य है, लेकिन यदि सार्थक रहते हुए काम किया जाये तो कोई मुश्किल भी नही है। उन्होने पत्रकारों के पास न्यू सेन्स का होना जरूरी बताते हुए कहा कि पत्रकारिता भी विश्वसनीयता चाहती है उन्होने जिलाधिकारी के इस आयोजन की भूरि भूरि प्रशंसा की, श्री गौड़ ने इस मौके पर वर्किंग जर्नालिस्ट एक्ट में बदलाव के मुद्दे को भी उठाया और पत्रकारों के आर्थिक सामाजिक विकास की तरफ भी प्रशासन का ध्यान आर्कषित कराने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त मुख्य विकास अधिकारी आनन्द कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक ज्ञानन्जय सिंह सन्तोष बाजपेयी, उमाकान्त दीक्षित, योगेन्द्र सिंह, नवनीत द्विवेदी, आमिर किरमानी, अनूप शुक्ला आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। इस कार्यशाला का संचालन ग्रामीण पत्रकार एसोशिऐशन के अध्यक्ष अतुल कपूर ने किया। कार्यशाला मे शहरी एवं ग्रामीण पत्रकार बन्धुओं ने भाग लिया।
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