‘‘मैं बेरोजगार हूॅ रोजगार चाहता हूॅ,
पर पहाड़ों में सम्भव नहीं है।
मैं भूखा खाने को दो-चार निवाला चाहता हूॅ,
पर पहाड़ों में ये सम्भव नहीं है।‘‘
आज के समय में उŸाराखण्ड के पहाड़ों में ‘पलायन‘ एक बहुत बड़ी समस्या बनकर सामने आ रहा है। गांवों से शहरों की ओर पलायन का सिलसिला कोई नई बात नहीं है। परन्तु उŸाराखण्ड के पहाड़ों में शहरों की ओर पलायन की प्रवृŸिा कुल ज्यादा है। पहाड की भौगोलिक स्थिति, ग्रांवों में बुनियादी सुविधायें, गांवों में कृषि योग्य भूमि के लगातार कम होते जाना, आबादी बढ़ने और प्राकृतिक आपदाओं के चलते रोजी-रोटी की तलाश में ग्रामीणों को शहरों-कस्बों की ओर मुंह करना ही पलयायन का मुख्य कारण है। आज भी गंगी और पिन्सवाड जैसे दर्जनों गांव है, जहां सड़क तो दूर पर आने-जाने के रास्ते तक ठीक नहीं है। हर माता पिता का सपना होता है, कि उनका बेटा भी अच्छी शिक्षा प्राप्त कर उच्च पद को हासिल करें और एक बेहतर इंसान बने। यह तभी हो सकता है, जब उसे उच्च शिक्षा मिले और इसका एक ही स्थान है ‘शहर‘ । लगभग सभी अच्छे स्कूल और यूनिवर्सिटीज शहर में ही स्थापित है, जिसके कारण आज का युवा वर्ग शहरों की और आकर्षित हो रहा है और आधा पहाड़ शहरांे में बस गय है। शहरों में ऐसा क्या है, तब सोचने वाली बात यह है, कि पहाड़ का युवा वर्ग पहाड़ में रहकर रोजगार करने के बजाय शहरों की और क्यों अग्रसर हो रहा है। जिसके चलते पहाड़ के युवा शहरों की तरफ खिंचे चले जा रहे है। एक तरफ जहां शहरी चकाचैंध, भागमभाग की जिन्दगी, उद्योगों, कार्यालयों तथा विभिन्न प्रतिष्ठानों में रोजगार के अवसर परिलक्षित होते हैं। शहरों में अच्छे परिवहन के साधन, शिक्षा केन्द्र, स्वास्थ्य सुविधाओं तथा अन्य सेवाओं ने भी गांव के युवकों, महिलाओं को आकर्षित किया है। वहीं गांव में पाई जाने वाली रोजगार की अनिश्चितता, प्राकृतिक आपदा, स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव ने लोगों को पलायन के लिए प्रेरित किया है। ग्रामीणों का शहरों की ओर पलायन रोकने और उन्हें गांव में ही रोजगार मुहैया कराने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार की ओर से विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही है। किसी एक जगह पर सही से पानी, बिजली, सड़क, शिक्षा, खेती, स्वास्थ्य, रोजगार के लिए संशाधन नहीं होंगे तो नतीजा पलायन के रूप में ही बाहर आएगा। क्या सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाये सिर्फ कागजों तक ही सिमित रहेगी? क्या देवभूमि कहलाने का गौरव वास्तविक रूप में चरित्तार्थ हो पायेगा? इन सभी सवालों के जबाव त्वरित अपेक्षित है।
bhai ye meri post hai aapne kyuchura li..aap pecopyright lagaunga
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